भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी ताज़ा मौद्रिक नीति बैठक में Repo Rate को 5.5% पर स्थिर रखने का फैसला किया है। यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं, विशेष रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारत पर और अधिक कर लगाने के वादे के मद्देनजर।
Repo Rate क्या होता है?
Repo Rate वह ब्याज दर है जिस पर RBI भारत के बैंकों को उधार देता है। जब RBI यह दर बढ़ाता है, तो बैंकों से कर्ज लेना महंगा हो जाता है। इससे आम लोगों के होम लोन, कार लोन और अन्य लोन भी महंगे हो जाते हैं।
अगर Repo Rate घटती है, तो लोन सस्ते हो जाते हैं और बाज़ार में खर्च बढ़ता है।
यह तथ्य कि आरबीआई ने अब तक इसे 5.5% पर अपरिवर्तित रखा है, यह दर्शाता है कि वह स्थिति की सावधानीपूर्वक जांच कर रहा है और कोई भी त्वरित निर्णय लेने में असमर्थ है।
RBI ने Repo Rate क्यों नहीं बदली?
RBI का मानना है कि अभी ग्लोबल माहौल बहुत अनिश्चित है। Donald Trump ने हाल ही में धमकी दी कि अमेरिका भारतीय वस्तुओं पर आयात शुल्क बढ़ा सकता है। इसके तुरंत बाद रुपये की वैल्यू में गिरावट देखी गई – डॉलर के मुकाबले रुपया 16 पैसे कमजोर हुआ।
अगर RBI अभी Repo Rate घटा देता, तो रुपया और भी कमजोर हो सकता था। इससे महंगाई बढ़ सकती थी, इसलिए RBI ने इसे स्थिर रखना बेहतर समझा।
Indian Economy पर इसका असर
Repo Rate स्थिर रखने का असर पूरे भारतीय बाजार पर होता है – खासकर Stock Market और Share Market पर। चलिए देखते हैं इसका किन-किन क्षेत्रों पर प्रभाव पड़ा है:
1. बैंक और लोन
अब लोन की ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं होगा। जो लोग होम लोन या पर्सनल लोन लेने की सोच रहे थे, उन्हें फिलहाल राहत नहीं मिलेगी।
2. Stock Market पर असर
आरबीआई की घोषणा के बाद stock market में ज़्यादा उछाल तो नहीं आया, लेकिन कुछ हद तक वापसी ज़रूर हुई। ऑटोमोबाइल और रियल एस्टेट सेक्टर, जो ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद कर रहे थे, में थोड़ी मंदी देखी गई।
3. Share Market की चाल
Share Market भी स्थिर रहा। हालांकि निवेशक RBI से कुछ संकेतों की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन केंद्रीय बैंक ने साफ कहा कि वह “वेट एंड वॉच” की नीति पर चल रहा है।
4. रुपया और विदेशी व्यापार
ट्रंप की धमकियों के बाद भारत से अमेरिका को होने वाला निर्यात प्रभावित हो सकता है। अगर डॉलर के मुकाबले रुपया और कमजोर हुआ तो आयात महंगे हो जाएंगे – जिससे पेट्रोल, इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स जैसी चीजें महंगी होंगी।
RBI ने Repo Rate को स्थिर रखकर रुपये को गिरने से रोकने की कोशिश की है।
Trump की Tariff धमकी और उसका असर
अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत पर आरोप लगाया कि वह व्यापार में अमेरिका के साथ “नाइंसाफी” कर रहा है और इसी वजह से भारत से आने वाले प्रोडक्ट्स पर टैरिफ बढ़ाने की धमकी दी है।
अगर यह टैरिफ लागू हो गया, तो भारत का टेक्सटाइल, फार्मा, रत्न और मशीनरी सेक्टर प्रभावित हो सकता है। इससे नौकरियों और एक्सपोर्ट पर असर पड़ेगा।
विशेषज्ञों की राय
आर्थिक जानकार मानते हैं कि RBI ने सही फैसला लिया है। कुछ मुख्य बातें जो विशेषज्ञों ने कही:
- संतुलित दृष्टिकोण: RBI ने महंगाई को काबू में रखने और आर्थिक स्थिरता बनाए रखने पर जोर दिया है।
- ग्लोबल अनिश्चितता: अमेरिका-भारत व्यापार तनाव, क्रूड ऑयल की कीमतें और चीन की धीमी अर्थव्यवस्था जैसे कारणों से RBI ने सतर्क रुख अपनाया है।
- निवेशकों को भरोसा: Repo Rate को स्थिर रखकर RBI ने निवेशकों को संकेत दिया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत है।
आम लोगों पर क्या असर होगा?
- लोन लेने वालों के लिए: अभी ब्याज दरों में कटौती की कोई उम्मीद नहीं है। EMI कम होने की संभावना फिलहाल नहीं है।
- Stock Market में निवेश करने वालों के लिए: मार्केट थोड़े समय तक स्थिर रह सकता है। लॉन्ग टर्म निवेशकों को घबराने की जरूरत नहीं है।
- खर्च करने वालों के लिए: महंगाई पर फिलहाल काबू है, लेकिन अगर रुपया और गिरा तो कुछ वस्तुएं महंगी हो सकती हैं।
आगे क्या होगा?
अब सबकी नज़र आने वाले महीनों पर है। अगर दुनिया की स्थिति सुधरती है तो आरबीआई भविष्य में Repo Rate कम कर सकता है और ट्रंप की चेतावनियाँ सिर्फ़ मनोवैज्ञानिक हैं।
लेकिन अगर टैरिफ लागू हो गया और महंगाई बढ़ी, तो RBI को दरें और बढ़ानी भी पड़ सकती हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
RBI ने फिलहाल Repo Rate को 5.5% पर बनाए रखने का निर्णय लिया है, जिससे साफ है कि वह Stock Market, Share Market और रुपये की स्थिरता को प्राथमिकता दे रहा है।
Donald Trump की टैरिफ धमकियों से भले ही बाजार थोड़ा हिला हो, लेकिन RBI की सतर्क नीति भारतीय अर्थव्यवस्था को इस अनिश्चित समय में संभाले रखने की कोशिश कर रही है।