भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक चौंकाने वाला फैसला लेते हुए Repo Rate में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है। अब Repo Rate घटकर 5.5% हो गई है। फरवरी 2025 से अब तक RBI कुल 100 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर चुका है। आइए जानते हैं इस अहम फैसले से जुड़ी 5 जरूरी बातें जो हर किसी को जाननी चाहिए।
1. Repo Rate अब 5.5% – 50 bps की कटौती
RBI ने Repo Rate को 50 बेसिस प्वाइंट घटाकर 5.5% कर दिया है। Repo Rate वह दर होती है जिस पर RBI बैंकों को कर्ज देता है। इससे बैंक सस्ते ब्याज पर पैसा लेते हैं और आम लोगों को सस्ते लोन देते हैं। इस फैसले से बाजार में लोन लेना सस्ता होगा, जिससे आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने की उम्मीद है।
2. फरवरी 2025 से अब तक 100 bps की कटौती
पिछले 4 महीनों में RBI ने Repo Rate में कुल 100 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है। इसका मकसद है गिरती अर्थव्यवस्था को सहारा देना। खासकर मैन्युफैक्चरिंग, एक्सपोर्ट और रियल एस्टेट सेक्टर को गति देने के लिए यह कदम उठाया गया है।
3. पॉलिसी स्टांस में बदलाव – अब “न्यूट्रल”
अब तक RBI का रुख “Accommodative” यानी नीतिगत सहयोग देने वाला था, लेकिन अब इसे बदलकर “Neutral” कर दिया गया है। इसका मतलब है कि अब RBI और ब्याज दरों में कटौती करने की संभावना नहीं जताता, बल्कि आने वाले समय में महंगाई और आर्थिक ग्रोथ के अनुसार फैसला करेगा।
4. आगे कटौती की संभावना कम
RBI ने साफ कर दिया है कि अब और Repo Rate घटाने की बहुत गुंजाइश नहीं बची है। हालांकि इस समय महंगाई काबू में है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतें और भू-राजनीतिक तनाव महंगाई को बढ़ा सकते हैं। इसलिए RBI अब सतर्क रहने की नीति अपनाएगा।
5. लोन, EMI और निवेश पर असर
- जिन लोगों के पास होम लोन या फ्लोटिंग रेट लोन है, उन्हें कुछ राहत मिल सकती है। बैंक अब अपनी ब्याज दरें घटा सकते हैं, जिससे आपकी EMI कम हो सकती है।
- दूसरी ओर, फिक्स्ड डिपॉजिट और बचत खातों पर ब्याज दरें घट सकती हैं, जिससे निवेशकों को कम रिटर्न मिलेगा।
- शेयर बाजार इस कदम को सकारात्मक रूप से ले सकता है, लेकिन दीर्घकालिक प्रदर्शन पूरी अर्थव्यवस्था पर निर्भर करेगा।
निष्कर्ष:
RBI का यह Repo Rate में कटौती का फैसला अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए एक मजबूत कदम है। लेकिन “Neutral” स्टांस ये भी दिखाता है कि अब आगे और कटौतियों की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। अब सरकार और RBI दोनों की नजरें आर्थिक सुधारों और वित्तीय नीतियों पर रहेंगी।
इस समय आम लोगों और निवेशकों को अपने फाइनेंशियल प्लान्स को दोबारा सोचने की जरूरत है, ताकि वे इस बदलते ब्याज दर के दौर में सही निर्णय ले सकें।